- Jio, Airtel और Vi ने अनिवार्य कॉलर आईडी का विरोध किया है।
- कंपनियों का कहना है कि इससे कॉल करने वाले यूजर्स की प्राइवेसी को खतरा है।
- ट्राई 115 करोड़ टेलीकॉम सब्सक्राइबर्स को स्पैम और फ्रॉड कॉल्स से बचाना चाहती है।
भारतीय दूरसंचार कंपनियां Jio, Airtel और Vi (Vodafone-Idea) ने एक साथ मिलकर अनिवार्य कॉलर आईडी का विरोध किया है। तीनों ही कंपनियों ने भारत सरकार के उस प्रस्ताव का विरोध किया है जिसमें सिफारिश की गई थी कि जब किसी यूजर्स के पास कॉल आएगी तो उसे कॉलर की आईडी दिखेगी कि उसे कौन कॉल कर रहा है। वहीं, इस विरोध के चलते टेलीकॉम कंपनियों का मानना है कि कॉलर आईडी अनिवार्य नहीं होनी चाहिए क्योंकि इससे यूजर्स की प्राइवेसी को खतरा होगा।
ट्राई द्वारा “Introduction of Calling Name Presentation (CNAP) in Telecommunication Networks.” नाम के पेपर को प्रकाशित करने के लगभग दो महीने बाद COAI के विरोध को सामने रखा गया है। पेपर टेलीकॉम ऑपरेटरों से कॉलर आईडी पेश करने के प्रस्ताव पर जवाब मांगता है जो ट्रूकॉलर जैसे ऐप की आवश्यकता को समाप्त करता है। भारत के 114.55 करोड़ वायरलेस और 2.65 करोड़ वायरलाइन ग्राहकों को रोबोकॉल, स्पैम कॉल और धोखाधड़ी वाले कॉल से बचाने के लिए ट्राई ऐसा करना चाहता है।
इस कारण दूरसंचार कंपनियां कॉलर आईडी का कर रही हैं विरोध
पीटीआई की खबर के अनुसार Jio ने कथित तौर पर TRAI (भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण) के परामर्श पत्र का जवाब यह कहकर दिया है कि “CNAP या कॉलर आईडी सुविधाएं पूरक VAS सेवा के लिए अच्छी हैं।” साथ ही Jio का यह भी दावा है कि देश की अधिकांश आबादी अभी भी 2G, 3G, लैंडलाइन और फीचर फोन जैसी पुरानी तकनीक पर निर्भर है जो CNAP का समर्थन करने में सक्षम नहीं हैं।
इसके अलावा ईटी की रिपोर्ट में बताया गया कि इस प्रस्ताव पर Vi ने कहा कि CNAP एक LTE तकनीक है और इसलिए इसे 4G मानक से पहले की तकनीक पर लागू नहीं किया जा सकता है। एयरटेल का भी कुछ ऐसा ही जवाब था। Jio ने निजता को लेकर भी चिंता जताई है, जो कि CNAP के अनिवार्य होने की स्थिति में समझौता किया जाएगा।