डिजीटल इंडिया के साथ ही देश में डिजीटल वॉलेट का यूज़ की बढ़ा है। देश में पेटीएम, मोबिक्विक व फोनपे जैसे अनेंको डिजीटल वॉलेट मौजूद है जिनका यूज़ आज लगभग हर घर में होता है। आॅनलाईन ट्रांजेक्शन या शॉपिंग करने में ये डिजीटल वॉलेट बेहद काम आते हैं। नुक्कड़ की किराना शॉप से लेकर इंटरनेट पर डिलीवरी करने वाली ऐप तक पर इन डिजीटल वॉलेट से भुगतान किया जाता है। इन डिजीटल वॉलेट का यूज़ तो मजेदार व सुविधाजनक है लेकिन यदि दो व्यक्तियों के पास समान वॉलेट न हो तो यूजर को समस्या का सामना करना पड़ता है। लेकिन अब जल्द ही यह परेशानी भी खत्म होने वाली है और एक वॉलेट से दूसरे वॉलेट में भी पैसे ट्रांसफर किए जा सकेंगे।
यदि आपके पास पेटीएम और आपका दोस्त मोबिक्विक यूज़ करता है तो आप न तो उसे पैसे दे सकते हैं और न ही प्राप्त कर सकते हैं। इसी तरह आपको किसी दुकान से कोई समान लेकर उन्हें पेमेंट डिजीटल पेमेंट करनी हो तो आपके पास वहीं डिजीटल वॉलेट या ऐप होनी जरूरी है जो वह दुकान वाला यूज़ कर रहा है। लेकिन भारतीय रिजर्व बैंक यानि आरबीआई अब इस रूकावट को भी हटाने वाली है। जल्द ही देश में अलग-अलग मोबाइल वॉलेट्स के बीच पैसे ट्रांसफर किए जा सकेंगे।
25 महीनों में 25,00,00,000 यूजर जोड़ कर जियो ने बनाया रिकॉर्ड
आरबीआई ने देश में डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने के लिए नई गाइडलाइंस जारी की है, जिसके अंर्तगत एक वॉलेट से किसी दूसरी कंपनी के डिजीटल वॉलेट में भी पैसे भेजे जा सकेंगे। यानि आप अपने पेटीएम वॉलेट में रखे पैसे को मोबिक्विक या फोनपे वॉलेट में भी ट्रांसफर कर सकेंगे। आरबीआई ने नए दिशानिर्देश जारी कर बता दिया है कि डिजिटल वॉलेट कंपनियां सरकार समर्थित पेमेंट नेटवर्क का प्रयोग कर सकती हैं।
रिपोर्ट के अनुसार आरबीआई ने नई गाइडलाइन्स जारी करते हुए कहा है कि पिछले वर्ष के रोडमैप के मुताबिक, सभी केवाईसी का पालन करने वाले प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट्स (पीपीआई) के बीच आपस में लेने-देन की प्रक्रिया को तीन चरणों में लागू किया जाना चाहिए। इनमें पहला चरण यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस यानि यूपीआई के जरिये आपस में (इंटरऑपरेबिलिटी) मनी ट्रांसफर करने का है। वहीं आरबीआई द्वारा समर्थित दूसरे चरण में यूपीआई के जरिए वॉलेट और बैंक अकाउंट के बीच लेन देन उपलब्ध है तथा तीसरे चरण में कार्ड नेटवर्क के जरिए कार्ड के रूप में जारी प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट्स के बीच इंटरऑपरेबिलिटी यानि मनी ट्रांसफर किया जा सकता है।
शाओमी का दिवाली धमाका: रिटेल स्टोर्स पर मिलेगा 3,000 रुपये डिस्काउंट और 1,000 रुपये का कैशबैक
आपको बता दें कि इंटरऑपरेबिलिटी एक तकनीकी प्लेटफॉर्म है जो एक पेमेंट सिस्टम को दूसरे पेमेंट सिस्टम से जोड़ता है। यानि इंटरऑपरेबिलिटी के जरिये एक डिजीटल वॉलेट से दूसरे डिजीटल वॉलेट में ट्रांजेक्शन की जा सकती है। रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया ने सभी चरणों के लिए इंटरऑपरेबिलिटी के बेहतर ढंग से लागू करने के लिए एक संयुक्त गाइडलाइंस को जारी की है। आरबीआई की ओर से हालांकि सिर्फ निर्देश ही दिए गए है तथा इन्हें आवश्यक रूप से लागू करने का आदेश बैंक की ओर से नहीं दिया गया है। ऐसे में यह बात डिजीटल वॉलेट कंपनी के उपर आती है कि वहीं दूसरे कपंनी के डिजीटल वॉलेट से जुड़ना चाहती है या नहीं।
भारत में पेटीएम, मोबिक्विक, फोनपे, फ्रीचार्ज, आॅक्सिजन, पे यू मनी व सिटरस जैसे वॉलेट का यूज़ काफी किया जाता है। सिर्फ इतना ही नहीं देश की बड़ी टेलीकॉम कंपनियों ने भी जियोमनी, वोडाफोन एम-पैसा व एयरटेल मनी जैसे डिजीटल वॉलेट पेश किए हुए हैं। अगर डिजीटल वॉलेट कंपनिया आरबीआई की गाइडलाइन्स को अपना लेती है तो देश में न सिर्फ डिजीटल ट्रांजेक्शन्स में बढ़ावा होगी बल्कि साथ ही आम जनता का यूज़ के भी बेहद आसान हो जाएगा।