भारत सरकार ने ग्राहकों को देखते हुए और इलेक्ट्रॉनिक कचरे को कम करने के लिए गैजेट्स के चार्जिंग पोर्ट में बड़ा बदलाव किया है। दरअसल, सरकार ने मोबाइल निर्माताओं से सभी तरह के फोन और स्मार्टफोन के लिए एक ही यूएसबी टाइप-सी चार्जिंग पोर्ट देने को कहा है। सरकार ने मार्च 2025 तक सभी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में डिफॉल्ट चार्जिंग पोर्ट के रूप में यूएसबी टाइप-सी चार्जिंग पोर्ट देने को कहा है। हालांकि, फीचर फोन, वियरेबल्स और हीयरेबल्स को चार्जिंग पोर्ट्स के लिए यूएसबी टाइप-सी कनेक्शन होने से छूट दी जा सकती है।
भारत में जरूर होगा USB Type-C देना
सरकार ने मार्च 2025 तक सभी कंपनियों को आदेश दिया है कि स्मार्टफोन और लैपटॉप में यूएसबी टाइप-सी चार्जिंग कनेक्शन दिया जाएगा। एक समान चार्जिंग पोर्ट मानकों को लागू करने के लिए समय सीमा यूरोपीय संघ (ईयू) द्वारा निर्धारित की जाएगी।
ईयू इन डिवाइसों को यूएसबी टाइप-सी पर स्विच करने के लिए कहा
यूरोपीय संघ द्वारा यूएसबी टाइप-सी को सभी डिवाइस के लिए चार्जिंग पोर्ट के रूप में अनिवार्य किए जाने के कुछ हफ़्तों बाद भारत का फैसला आया है, जो कि Apple iPhones को बहुत प्रभावित करेगा। 28 दिसंबर, 2024 तक, ईयू में बेचे जाने वाले हर इलेक्ट्रॉनिक सामान में यूएसबी टाइप-सी कनेक्टर शामिल होना चाहिए। इसमें स्मार्टफोन और टैबलेट के साथ-साथ कैमरे, हेडफ़ोन, हेडसेट, पोर्टेबल स्पीकर, हैंडहेल्ड गेमिंग कंसोल, ई-रीडर, कीबोर्ड, माउस और पोर्टेबल नेविगेशन सिस्टम जैसे मोबाइल डिवाइस शामिल हैं। यदि चार्जिंग पावर 15W से अधिक है, तो USB पावर डिलीवरी इंटीग्रेशन आवश्यक है। लैपटॉप के निर्माताओं के पास इसका पालन करने के लिए 2026 तक का समय है। इसे भी पढ़ें: यूजर्स आसानी से बदल पाएंगे फ़ोन और लैपटॉप की बैटरी, नए नियम के बारे में जानें सबकुछ
रिपोर्ट के अनुसार, भारत यूरोपीय संघ के समान समय-सीमा का पालन करेगा, लेकिन वे व्यवसायों को अनुपालन के लिए तीन से चार महीने का अतिरिक्त समय देंगे। इस बीच, हाल ही में एप्पल के एक अधिकारी ने कहा कि कंपनी को ईयू के आदेश का पालन करना होगा और उसके पास कोई ऑप्शन नहीं है। आपको बता दें कि अभी सिर्फ आईफोन एकमात्र ऐसा स्मार्टफोन है जो लाइटनिंग पोर्ट के साथ आता है न कि यूएसबी टाइप-सी के साथ।
ASSOCHAM-EY की लेटेस्ट रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल भारत में पांच मिलियन टन इलेक्ट्रॉनिक कचरा पैदा होने का अनुमान है, जो केवल अमेरिका और चीन से पीछे है। यूनिवर्सल चार्जर की मदद से ग्राहकों को हर बार एक नए गैजेट के लिए नया चार्जर नहीं खरीदना होगा, जिससे ई-कचरा कम होगा।