पहले से ही यह कयास लगाए जा रहे थे कि जैसे ही मुकेश अंबानी की कंपनी रिलांयस जियो भारत में अपनी सेवाएं लॉन्च करेगाी वैसे ही मोबाइल बाजार में बहुत बड़ा बदलाव आएगा। और जैसा कि मालूम है पिछले साल सितंबर में रिलायंस जियो ने भारत में अपनी 4जी सर्विस लॉन्च कर दी है और बदलाव दिखने लगा है। एक ओर जहां सभी कंपनियां अपनी 4जी डाटा और कॉलिंग के शुल्क में बेतहाशा कमी कर रही है वहीं दूसरी ओर कुछ कंपनियां की हालत खराब होने लगी है। इनमें से ही एक नाम है भारत की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी वोडाफोन की।
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खबर है कि कंपनी जियो से मिल रहे कड़ी प्रतियोगिता की वजह से वोडाफोन इंडिया की हालत खराब है और वह रिलायंस जियो या फिर आइडिया के साथ मर्ज हो सकती है। यकिनन यह खबर बेहद चौंकाने वाली है लेकिन टेलीग्राफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक वोडाफोन इंडिया की ओर से रिलांयस जियो या आईडिया में शामिल होने का फैसला लिया जा सकता है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि जियो के लॉन्च के बाद से ही देश की टेलीकॉम कंपनियों के बीच गलाकाट प्रतियोगिता चल रही है। अपने ग्राहकों को जोड़े रखने के लिए सभी कंपनियों ने अपने डाटा तथा वॉयस पैक्स में शुल्क की भारी कटौती की है जिससे उनके मुनाफे में भी कमी आई है। वहीं भारत में वोडाफोन के शेयर लगातर गिर रहे हैं। ऐसे में देश में बने रहने के लिए वोडाफोन किसी अन्य टेलीकॉम कंपनी के साथ हाथ मिला सकती है। देश में सभी कंपनियों की पॉजीशन को देखते हुए वोडाफोन द्वारा विलय के लिए रिलायंस जियो या फिर आईडिया को चुना जा सकता है।
हालांकि लाइवमिंट के अनुसार कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि वोडाफोन भारत ही नहीं वरन् यूरोपीय देशों में एक बड़ा नाम है तथा वहां कंपनी के शेयर्स काफी अच्छे हैं। इसलिए कंपनी किसी अन्य नाम के साथ खुद को जोड़ना नहीं चाहेगी। हालांकि वोडाफोन के कम होते मुनाफे पर एक्सपर्ट्स ने माना कि अगर कंपनी अपने नुकसान की भरपाई करने में नाकाम रहती है तो हो सकता है भारत में अपनी सेवाएं बंद कर दें लेकिन विलय की बातों को माना नहीं जा सकता है।
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आपको बता दें कि रिलांयस जियो द्वारा मुफ्त सर्विस दिए जाने के बाद वोडाफोन समेत अन्य कंपनियों ने कम कीमत पर कई लुभावने पैक तथा आॅफर्स लॉन्च किए है। अगर भारत में वोडाफोन के शेयर तथा मार्केट वेल्यू को देखा जाए तो सितंबर 2016 में वोडाफोन कुल टेलीकॉम बाज़ार के 19.12 प्रतिशत मार्केट शेयर के साथ देश की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी थी। इसी श्रेणी में एयरटेल प्रथम तथा आईडिया तीसरे नंबर पर थी। रोचक बात यह भी है कि पिछले साल में वोडाफोन की ओर से भारत में तकरीबन 47,700 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है, जिसमें से अधिकांश राशि ऋण तथा कर्ज़ उतारने में ही लगाई गई थी।