अक्सर आप अपने नए स्मार्टफोन की तुलना पुराने स्मार्टफोन से करते हैं। इसमें आप प्रोसेसर, रैम और मैमोरी की जिक्र करते हैं कि किस कदर तकनीकी में बदलाव आया है। मन किया जो स्क्रीन का भी जिक्र कर लिया कि डिसप्ले पहले से बड़े हो गए हैं और रेजल्यूशन भी बेहतर आ गया है। परंतु क्या आपने कभी ग्लास पर गौर किया है। पुराने फोन में किस तरह का ग्लास उपयोग होता था और नए फोन में कौन सा ग्लास उपयोग होता है। तो आपको बता दूं कि ग्लास तकनीक भी काफी बदल गई है। पुराने फोन में जहां फ्लैट स्क्रीन का उपयोग होता था वहीं आज फोन कीमती हो या फिर सस्ता ज्यादातर फोन में 2.5डी कर्व्ड ग्लास का उपयोग किया जाता है। हाल में दिनों में आपने इस ग्लास तकनीक का काफी जिक्र भी सुना होगा। परंतु कभी सोचा है 2.5डी कर्व्ड ग्लास क्या है और इसके क्या फायदें हैं? नहीं! तो चलिए हम बताते हैं आपको 2.5डी कर्व्ड ग्लास के बारे में कुछ खास बातें। क्या आप जानते हैं एंडरॉयड फोन में क्या है डेवलपर्स मोड और क्यों जरूरी है इसे आॅन करना
क्या होता है 2.5डी कर्व ग्लास
2.5डी कर्व्ड डिसप्ले का उपयोग स्क्रीन को चमदार या शार्प बनाने के लिए नहीं किया जाता है बल्कि यह डिजाइन का भाग है और इसका उपयोग फोन को खूबसूरत बनाने के लिए किया जाता है। सबसे पहले बताते हैं कर्व्ड क्या है? कर्व्ड आ आशय होता है क्राकार या थोड़ा घुमावदार। जैसे आधा चांद या फिर हथेली ही सपाट न होकर कर्व्ड होता है। स्क्रीन के कोनें जहां पर डिसप्ले बॉडी से टच होते है वहां ग्लास थोड़ा मुड़ा हुआ होता है। यह कर्व्ड 2.5डी तक होता है। वहीं 2.5डी में ”डी” शब्द डायमीटर को अंकित करता है। अार्थात आपके फोन की स्क्रीन 2.5डी कर्व्ड है तो इसका मतलब है कि इसके कोने 2.5 डायामीटर घुमावदार हैं। जबकि साधारण स्क्रीन में कोने बिल्कुल फ्लैट और शार्प होते हैं। इन कोनों को तकनीकी बोलचाल की भाषा में ऐज भी कहा जाता है और वैज्ञानिक भाषा में आप कोन्टोर्ड ऐज अर्थात समोच्चरेखा ऐज भी कह सकते हैं। चुंकि फोन का पूरा डिसप्ले कर्व्ड नहीं होता ऐसे में साधारण आंखों से इसे पहचान नहीं सकते। जहां स्क्रीन और बॉडी मिलते हैं वहां पर आप गौर करेंगे तो पाएंगे कि डिसप्ले थोड़ा घुमावदार है। कुछ फोन में अब 3डी ग्लास का उपयोग भी होने लगा है। 3डी कर्व्ड ग्लास 2.5डी के अपेक्षा ज्यादा कर्व्ड होंगे। बिना किसी ऐप के एंडरॉयड स्मार्टफोन में देख सकते हैं सीपीयू परफॉर्मेंस और रैम यूसेज, जानें तरीका
कब से आया यह प्रचलन में
मोबाइल फोन में 2.5डी कर्व्ड डिसप्ले की शुरुआत महंगे फोन के साथ हुई लेकिन अब यह बिल्कुल कम बजट के फोन में भी उपलब्ध हो चुका है और यही वजह है कि इसकी आज काफी चर्चा होती है। वर्ष 2011 में नोकिया ने लुमिया 800 मॉडल को लॉन्च किया था। माइक्रोसॉफट विंडोज फोन ओएस पर चलने वाले इस फोन में पहली बार 2.5डी कर्व्ड ग्लास डिसप्ले का उपयोग किया गया था। नोकिया के बाद सैमसंग ने अपने गैलेक्सी नोट 4 में इसका उपयोग किया और बाद में गूगल नेक्सस डिवाइस में देखने को मिले।
2.5डी कर्व्ड ग्लास के फायदे
2.5डी कर्व्ड ग्लास का उपयोग टच अहसास को बेहतर बनाने के लिए किया जाता है। जब आप फोन पकड़ेंगे तो हथेली में कहीं भी स्क्रीन चुभेगी नहीं। आपको बेहतर अहसास होगा। वहीं स्वाइप और टच के दौरान ऐज पर उंग्लियां बॉडी में लगेंगी नहीं बल्कि स्क्रीन से ही बाहर चली जाएंगी। कर्व डिसप्ले की वजह फोन निर्माताओं को बड़ी स्क्रीन के बावजूद फोन को छोटा और पतला रखने में मदद मिलता है। क्योंकि फोन को आप पीछे से पकड़ेंगे तो कर्व्ड डिसप्ले में स्क्रीन बॉडी से थोड़ी उपर आ जाती है और हाथ स्क्रीन पर लगती नहीं है। बॉडी कर्व्ड स्क्रीन की बदौलत् आज फोन में ऐज टू ऐज डिसप्ले संभव हो पाया है।
कुछ जानकार 2.5डी कर्व्ड ग्लास को साधारण स्क्रीन की अपेक्षा थोड़ा मजबूत भी मानते हैं। क्योंकि स्क्रीन को कर्व्ड बनाने की प्रक्रिया बेहद ही सख्त और मजबूत होती है और साधारण स्क्रीन इस प्रक्रिया में टूट जाएगी। इसलिए कर्व्ड को मजबूत माना जाता है। कई खास गुण होने के बावजूद 2.5डी कर्व्ड ग्लास की एक बड़ी कमी यह कही जाती है कि इस पर स्क्रीन गार्ड लगाना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। बिल्कुल कोने तक गार्ड नहीं होते।