Battery Swapping क्या है जानें यहां, इस तकनीक के साथ कई गुणा कम हो जाएंगे Electric Vehicle के दाम

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What is Battery Swapping Policy know the benefit Electric Vehicle in India
सांकेतिक तस्वीर

Electric Vehicle जब नए-नए इंडिया में आए थे, तब लोग आपस में कहते थे कि ये नहीं चलेंगे! कुछ कहते थे कि इनका पिक-अप अच्छा नहीं हैं तो कुछ का कहना था कि ऐसी गाड़ियों की बैटरी पर तो बिल्कुल भरोसा नहीं कर सकते। लोग आपस में गॉसिप करते थे कि बिजली से चलने वाले वाहनों को चार्ज करने का झंझट रहेगा और बैटरी डिस्चार्ज होने पर ये कहीं भी बीच सड़क बंद पड़ जाएंगे। लेकिन कुछ ही समय में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स ने इस तमाम अफवाहों को बंद कर दिया। लोग इलेक्ट्रिक व्हीकल्स पंसद भी करने लगे हैं और इन्हें खरीदना भी चाहते हैं। हालांकि यह भी सच है कि फिलहाल Electric Car, Electric Scooter और Electric Bike की कीमत इंडिया में थोड़ी ज्यादा है और इस वजह से आम आदमी इन्हें अफॉर्ड नहीं कर पा रहा है। लेकिन आने वाले कुछ ही महीने में देश में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स का बाजार पलटने वाला है। बिजली से चार्ज होकर चलने वाले इन वाहनों का प्राइस कम भी होगा और इसकी एक बड़ी वजह बनने वाली है Battery Swapping Policy

Battery Swapping Policy

जैसा कि नाम से ही साफ होता है बैटरी स्वैपिंग मतलब बैटरी की अदला-बदली। मान लीजिए कि आपकी इलेक्ट्रिक कार की बैटरी डाउन हो गई है। अब इसे चार्ज करने में 5-6 घंटे लग सकते हैं लेकिन आपके पास इतना समय नहीं है। ऐसी स्थिति में आप चार्जिंग स्टेशन पर जाएंगे, अपनी डिस्चार्ज बैटरी वहां पर रख देंगे और बदल में कोई दूसरी फुल चार्ज बैटरी उठाकर ले आएंगे। बस यही होगा बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी में। मतलब यूजर को बैटरी चार्ज करने की जरूरत नहीं पड़ेगी अब डिस्चार्ज बैटरी देकर बदले में फुल चार्ज्ड बैटरी ले लेनी है। यह कुछ कुछ वैसा ही होगा जैसे आप गैस सिलेंडर खत्म होने पर खाली सिलेंडर देकर भरा हुआ ले लेते हैं।

What is Battery Swapping Policy know the benefit Electric Vehicle in India

उपर पढ़कर आप यह तो समझ गए होंगे कि बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी क्या है। लेकिन गैस सिलेंडर वाला उदाहरण पढ़कर यह मत समझ लीजिएगा कि हर चार्ज बैटरी के लिए आपको मोटी रकम चुकानी होगी। ऐसा नहीं होगा। डिस्चार्ज बैटरी देकर चार्ज बैटरी लेने के लिए कोई भारी रकम नहीं चुकानी होगी। यहां ज्यादा से ज्यादा सिर्फ उतना ही शुल्क लगेगा जितना चार्जिंग के दौरान पावर कंज्पशन का होता है। और यह भी हो सकता है कि आने वाले समय में अलग-अलग चार्जिंग स्टेशन ग्राहकों को लुभाने के ​लुभावने सब्सक्रिप्शन पैक भी बनाकर बेचने शुरू कर दें। यह भी पढ़ें : इन Electric Cars के फैन हुए इंडियन, खरीदने से पहले देखें टॉप 5 इलेक्ट्रिक कार्स की लिस्ट

यूजर को मिलेगा बेनिफिट

Battery Swapping Policy जहां इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की कीमत में कमी लाएगी वहीं बैटरी स्वैपिंग की यह प्रक्रिया उपभोक्ता के लिए भी सहूलियत भरी रहेगी। सफर के दौरान यूजर एक एक्स्ट्रा बैटरी को फुल चार्ज करके अलग से अपनी गाड़ी में रख सकता है जिससे बैटरी डिस्चार्ज होने का डर और गाड़ी को घंटों चार्जिंग स्टेशन पर खड़े करने का झंझट भी खत्म हो जाएगा। जो काम मोबाइल फोन के लिए उनका पावरबैंक करता है वैसा ही लाभ बैटर स्वैपिंग से इलेक्ट्रिक वाहनों को मिलेगा। चार्जिंग कनेक्शन न उपलब्ध होने पर पावर डाउन होने का खतरा खत्म हो जाएगा और बैटरी डिस्चार्ज होने की टेंशन नहीं रहेगी।

देखें कोरिया में कैसे होती है बैटरी स्वैपिंग :-

ATM जैसे होंगे बैटरी स्वैपिंग सेंटर

आपको बता दें कि ​पश्चिमी देश इस तरह की नीति पर पहले से ही काम कर रहे हैं। तकरीबन हर 5 किलोमीटर पर एक बैटरी स्वैपिंग सेंटर मुहैया हो सकता है। ऐसे सेंटर्स के लिए जरूरी नहीं कि कोई बहुत बड़ा सेटअप किया जाए। बैटरी स्वैपिंग मशीन किसी एटीएम मशीन की तरह होगी जिसके 8 से 10 चार्ज्ड बैटरियां रखी रहेगी। कोई भी यूजर टोकन वगैरह लेकर उस मशीन में से चार्ज्ड बैटरी निकाल सकेगा और खाली हुए स्लॉट में अपनी डिस्चार्ज बैटरी को लगा सकेगा। वह डिस्चार्ज बैटरी मशीन में जाते ही चार्ज होना शुरू हो जाएगी।

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बैटरी स्वैपिंग का फायदा

बैटरी स्वैपिंग के लिए जरूरी है कि Electric Vehicle में से बैटरी आसानी से निकलकर अलग होती है। वहीं साथ ही आवश्यक है कि आपके पास दो बैटरियां हो ​​ताकि एक फुल चार्ज्ड बैटरी गाड़ी में लगी रहे और दूसरी डिस्चार्ज बैटरी बाहर चार्जिंग पर लगाई जा सके। अगर देश में बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी लागू हो जाती है तो बैटरी इलेक्ट्रिक व्हीकल्स का अलग पार्ट बन जाएगी। बैटरी के अलग होने की वजह से इलेक्ट्रिक वाहन बनाने वाले ब्रांड्स सिर्फ व्हीकल का प्रोडक्टशन करेंगे तथा उस वाहन की कॉस्ट में बैटरी की कॉस्ट शामिल नहीं होगी। इसका मतलब इलेक्ट्रिक व्हीकल की कीमत में कमी आ जाएगी। इसके लिए हम स्मार्टफोन ब्रांड्स का उदाहरण ले सकते हैं जैसे वो अपने मोबाइल फोंस को अलग बनाते हैं तथा ईयरफोन व ईयरबड्स को फोन बॉक्स के साथ न जोड़ते हुए अलग बेचते हैं।

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