
जामताड़ा वेब सीरीज़ का नाम आपने जरूर सुना होगा। इसमें दिखाया गया है कि किस तरीके लोग जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल कर मोबाइल सिम (SIM Card) खरीदते हैं और उसी से ऑनलाइन फ्रॉड व स्कैम को अंजाम देते हैं। ऐसे ही लोगों पर नकेल कसने के मकसद से दूरसंचार विभाग (DoT) ने बिहार और झारखंड राज्य में 2.25 लाख से भी ज्यादा सिम कार्ड को ब्लॉक यानी डिएक्टिवेट कर दिया है।
क्यों किए जा रहे हैं सिम कार्ड ब्लॉक
भारत सरकार के दूरसंचार विभाग का मानना है कि इन राज्यों के कई सर्किल्स में जाली सिम कार्ड एक्टिवेट थे। इनमें ज्यादातार मोबाइल सिम ऐसे लोगों के आधारकार्ड व दूसरे पहचान पत्र के बिनाह पर जारी करवाए गए थे, जिन्हें खुद इसकी जानकारी नहीं थी। गलत तथा नकली पहचान दिखाने के बावजूद इन सिम को चालू किया गया था जिनकी गिनती सवा दो लाख से भी ज्यादा है। अब सरकार ने बड़ा ऐक्शन लेते हुए बिहार और झारखंड में ऐसे मोबाइल सिम कार्ड्स को निष्क्रिय कर दिया गया है।
सिम जारी करने वालों के खिलाफ भी हुई कार्रवाई
DoT की ओर से एक ओर जहां बिहार और झारखंड में 2.25 लाख मोबाइल सिम डिएक्टिवेट की गई है वहीं साथ-साथ ऐसे गिरोह को भी ढूंढ निकाला जा रहा है जो जाली दस्तावेजों पर सिम इश्यू कर रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार इन सर्किल्स में 517 पॉइंट ऑफ सेल्स (POS) ऐसे पाए गए हैं जो गलत तरीके से सिम कार्ड बेच रहे थे।
न्यूज एजेंसी पीटीआई के अनुसार दूरसंचार विभाग ने इन पीओएस की डिटेल्स दूरसंचार कंपनियों के साथ शेयर कर दी है तथा इन्हें ब्लैकलिस्ट करने के लिए आदेश दिया है। सरकार ने सभी टेलीकॉम ऑपरेटर्स को सख्त हिदायत दी है कि नकली पहचान पत्र तथा जाली दस्तावेज़ पर भी सिम कार्ड करने वाले पॉइंट ऑफ सेल्स (POS) को कंट्रोल किया जाए।
सिम फ्रॉड से हो रहे साइबर क्राइम पर सरकार की सख्ती
रिपोर्ट के अनुसार दूरसंचार विभाग ने देशभर में 87 करोड़ से ज्यादा ग्राहकों का फेस आइडेंटिफिकेशन यानी चेहरों का विश्लेषण किया है और साइबर क्राइम से जुड़े खतरों को रोकने के लिए इन्हें विभिन्न राज्यों में मौजूद फील्ड यूनिट्स के साथ शेयर किया जा रहा है। इस पूरी प्रक्रिया में डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम स्टेट पुलिस के साथ मिलकर काम कर रहा है ताकि सिम जालसाजों को रोका जा सके।











