
नोटबंदी के बाद भारत सरकार आॅनलाईन ट्रांजेक्शन और कैशलेस इकॉनमी के विस्तार के लिए काफी प्रयास कर रही है। सरकार को आम लोगों तक स्मार्टफोन्स पहुंचाने की कोशिश कर रही है। इसी कोशिश के तहत केंद्र सरकार की ओर से लोकल हैंडसेट वेंडर्स को कम कीमत पर स्मार्टफोन पेश करने के लिए कहा गया है। सरकार का मानना है कि कैशलेस इकॉनमी का सपना तबतक साकार नहीं हो सकता जबतक ग्रामीण ईलाकों समेत हर घर में स्मार्टफोन उपलब्ध नहीं होता।
इकॉनमी टाईम्स के मुताबिक नीति आयोग तथा लोकल हैंडसेट वेंडर्स ही हाल ही में हुई मीटिंग में सरकार की ओर से 2,000 रुपये तक के स्मार्टफोन बनाने की बात कही गई है। इस मीटिंग में स्वदेशी मोबाईल निर्माता कंपनियां माइक्रोमैक्स, इंटेक्स, लावा तथा कार्बन ने हिस्सा लिया तथा डिजिटल ट्रांजेक्शन्स पर नीति आयोग की इस पेशकश पर अपनी राय प्रकट की।
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गौरतलब है कि इस मीटिंग से एप्पल तथा सैमसंग जैसी कंपनियां जहां नदारद रही वहीं सरकार की ओर से चीनी कंपनियों को फिलहाल इस पेशकश के दायरे से बाहर रखा गया है।

खबर के अनुसार भारत सरकार का संज्ञान है कि देश में कम कीमत वाले स्मार्टफोन्स की कमी है, तथा कीमत के कारण की अनेंको लोग स्मार्टफोन नहीं अपना पर रहे हैं। तथा जबतक हर व्यक्ति तक स्मार्टफोन नहीं उपलब्ध होगा तो आॅनलाईन ट्रांजेक्शन्स पूरी तरह देश की अर्थव्यवस्था में अपनी जगह नहीं बना पाऐगी।
इसलिए सरकार चाहती है कि मोबाईल निर्माता कंपनियां अपने ब्रांड के तहत ऐसे स्मार्टफोन्स का निर्माण करें जिनकी कीमत 2 हजार से कम हो तथा हर व्यक्ति ऐसे स्मार्टफोन खरीदने में समर्थ हो सके। हालांकि सरकार अभी कम कीमत के फोन निर्माण में स्वदेशी कंपनियों को कोई सब्सिडी या अन्य मदद देने में मूड में नहीं है।
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सरकार की ओर से निर्माता कंपनियों पर सस्ते फोन बनाने के लिए जोर डालने के साथ ही आॅनलाईन ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने के लिए अन्य कोई समाधान भी पेश करने को कहा है। इसके साथ ही सरकार भविष्य में आधार कार्ड पर आधारित कैश ट्रांजेक्शन की सुविधा हर फोन में देना चाहती है जिससे किसी भी स्थान से आॅनलाईन ट्रांजेक्शन की जा सके।
आपको बता दें कि आधार-बेस्ड ट्रांजेक्शन्स हर फोन में उपलब्ध कराने के लिए फोन में फिंगरप्रिंट सेंसर, कैमरा प्रोसेसर तथा स्कैनर होना आवश्यक है तथा 2 हजार तक की कीमत पर इस सब फीचर्स से लैस स्मार्टफोन उपलब्ध कराना वाकई में मोबाईल कंपनियों के लिए बड़ी चुनौती होगी। ज्ञात हों कि हाल ही में गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने भी भारत में स्मार्टफोन्स की आदर्श कीमत 2 हजार रुपये तक ही आंकी थी।
अब देखना यह होगी कि सरकार की कैशलेस इकॉनमी की योजना में मोबाईल कंपनियां कितना साथ दे पाती हैं तथा कब तक देश के ग्रामीण ईलाकों में फ़ीचर फोन की जगह स्मार्टफोन ले पाते हैं।



















