
इंडिया में चीनी कंपनियों के बहिष्कार की बात हमेशा से होती रही है, लेकिन कोरोना वायरस और भारत-चीन सीमा विवाद के बाद यह मामला और बढ़ गया। सीमा विवाद के बाद ‘मेड इन चाइना’ फोन न खरीदने वाले ग्राहकों को संतुष्ट करने के लिए अब सरकार की ओर से एक अहम कदम उठाया गया है। देश में ‘मेड इन इंडिया’ की मांग को पूरा करने के लिए केन्द्र सरकार ने मंगलवार को घरेलू और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के 16 प्रस्तावों को मंजूरी दे दी है। यह कंपनियां अगले 5 वर्ष में लगभग 10.5 लाख करोड़ रुपए की कीमत के मोबाइल फोन बनाएंगी और इस लिस्ट में एप्पल और सैमसंग जैसे बड़े स्मार्टफोन निर्माताओं के नाम शामिल हैं।
ये कंपनियां बनाएंगी ‘मेड इन इंडिया’ फोन
iPhone का निर्माण करने वाली कंपनी Apple की कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर फॉक्सकॉन होन हाई, विस्ट्रॉन और पेगाट्रॉन के प्रस्ताव भी इस लिस्ट में शामिल हैं। इसके अलावा सैमसंग और राइजिंग स्टार के प्रस्तावों को भी मंजूरी मिली गई है। वहीं, घरेलू कंपनियों में लावा, भगवती (माइक्रोमैक्स), पैजेट इलेक्ट्रॉनिक्स (डिक्सॉन टेक्नोलॉजीस), यूटीएल नियोलिंक्स और ऑप्टिमस के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई है। इसे भी पढ़ें: रिटेलर्स हुए Xiaomi से परेशान, Redmi K20 बना जी का जंजाल
5 साल में बनेंगे 10.5 लाख करोड़ के फोन
सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि हमें उम्मीद है कि प्लान के तहत कंपनियों के अगले पांच साल में 10.5 लाख करोड़ रुपए से अधिक कीमत के मोबाइल फोन का निर्माण करेंगी। इलेक्ट्रॉनिक्स कलपुर्जा श्रेणी में एटीएंडएस, एसेंट सर्किट्स, विजिकॉन, वालसिन, सहस्रा और नियोलिंक के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई है।
क्या है पीएलआई योजना
भारत सरकार ने मोबाइल फोन के निर्माण में एक बड़ी महत्वाकांक्षी योजना की पहल की है। इससे जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) की शुरूआत 1 अप्रैल 2020 से की गई थी, जिसमें सरकार ने कहा था कि इसके अंतर्गत भारत में मोबाइल बनने पर पांच सालों के लिए 4% से 6% तक की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। इसे भी पढ़ें: 15,000 रुपये से कम बजट के 5 नॉन चाइनीज फोन जो कर सकते हैं Xioami, Realme, Vivo और OPPO को रिप्लेस
रोजगार बढ़ेगा
सरकार का मानना है कि इस योजना से पूरे देश में नई नौकरियां पैदा होंगी और लाखों करोड़ों का निवेश भारत में आएगा, जो मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया और आत्मनिर्भर भारत जैसी योजनाओं को पूरा करेगा।





















