
भारत में कालेधन के खात्मे के लिए केंद्र सरकार की ओर से 500 और 1000 के नोटों को अमान्य किया गया है। इसका असर आम जनता की दिनचर्या के लेकर देश की अर्थव्यवस्था और व्यापार पर भी पड़ा है। पैसे की कमी के चलते लगभग हर तरह के सामान की मांग तेजी से कम हुई है। भारतीय मोबाईल बाज़ार पर भी नोटबंदी का गहरा असर पड़ा है।
नोटबंदी के चलते मोबाईल ब्रिकी में 50 प्रतिशत तक की कमी दर्ज की गई है। ऐसे में इंडियन सेल्युलर एसोसिएशन की ओर से वित्त मंत्री को पत्र लिखकर मोबाईल खरीदादरी के लिए 500 व 1000 के नोटो को वैध करार देने की मांग की है।
वित्त मंत्री अरूण जेटली को लिखे पत्र में एसोसिएशन की ओर से गुजारिश करते हुए कहा गया है कि नोटबंदी के कारण मोबाईल व्यापार में भारी गिरावट आई है। पहले की अपेक्षा मोबाईल की ब्रिकी इतनी ज्यादा कम हो गई है कि कुल विक्रय राशि में 80 प्रतिशत की कमी आ गई है जो व्यापार पहले दैनिक रूप से 350 से 400 करोड़ का लेन-देन करता था, उसमें अब पचास प्रतिशत तक की कमी आ गई है।
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एसोसिएशन के अध्यक्ष पंकज मोहिंद्रू के अनुसार नोटबंदी ने व्यापार पर दूरगामी प्रभाव डाला है। निर्माण से लेकर व्यापार तक हर क्षेत्र में हानि हुई है। अब तक जो ब्रिकी 40 से 50 फीसदी तक घटी है उसकी दर आने वाले दिनों और ज्यादा बढ़ेगी।
आईडीसी की रिसर्च के अनुसार जुलाई से सिंतबर के दौरान फीचर फोन और स्मार्टफोन की क्रमश: 32.3 मिलियन और 39.9 मिलियन युनिट आंकी गई थी। पंरतु अब करंसी में हुए इस बदलाव की वजह से साल की आखिरी तिमाही में फीचर फोन व्यापार में 24.6 और स्मार्टफोन में 17.5 तक की गिरावट हुई है।
आईसीए की ओर से सरकार से अनुरोध किया गया है कि कम से कम 30 दिनों के लिए मोबाईल खरीदारी में आधार कार्ड या किसी अन्य आईडी प्रूफ के प्रयोग के साथ 500 व 1000 के नोटो का लेन-देन वैध किया जाए।
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एसोसिएशन की ओर से यह सुझाव भी दिया गया है कि जमा आईडी प्रूफ को खरीदे गए फोन की ईएमआई नंबर के साथ जोड़ा जा सकता है। जिससे जरूरतानुसार फोन के ईएमआई नंबर के जरिये व्यक्ति की निजी आईडी को भी ट्रेस किया जा सके। वहीं यह भी कहा है कि लोगों के पास फोन होना उन्हें आॅनलाईन ट्रांजेक्शनस् की ओर भी बढ़ावा देगा।


















