50 हजार साल बाद आ रहा ‘हरा धूमकेतु’, भारत में भी दिखेगा, जानिए कब और कहां-कहां

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Highlights

  • ऐसा धूमकेतु आखिरी बार Ice Age यानी हिम युग में देखा गया था।
  • यह अनोखा Comet 30 जनवरी से 2 फरवरी के बीच दिखाई देगा।
  • इस विचित्र खगोलीय घटना को नंगी आंखों से भी देखा जा सकेगा।
  • हरे रंग में नज़र आने वाले इस धूमकेतु का नाम C/2022 E3 रखा गया है।

हमारी धरती से कोसों दूर अंतरिक्ष में होने वाली घटनाएं अगर आपको भी दिलचस्प और रोमांचक लगती है तो आने वाली 1 फरवरी की रात आपके लिए बेहद खास होने वाली है। एक हरा धूमकेतु (Green Comet) तकरीबन 50 हजार साल बाद हमारी पृथ्वी के पास से गुजरने वाला है। खगोलीय घटनाओं की लिहाज से यह पुच्छल तारा अन्य धूमकेतुओं ने अलग और अनूठा होग। एक ओर तो इसका रंग हरा दिखाई देगा वहीं दूसरी बड़ी बात कि यह कॉमेट इससे पहले Ice Age यानी हिम युग में ही धरती के इतने करीब आया था।

50 हजार साल बाद आ रहा है Green Comet

बताया जा रहा है कि यह धूमकेतु सूरज की परिक्रमा करता है तथा इसका एक चक्कर 50 हजार साल में पूरा होता है। इसी महीने की 12 तारीख को यह पुच्छल तारा सूर्य के सबसे नजदीक गया था। और अब अपनी धूरी पर घूमते हुए यह पृथ्वी के करीब से गुजरने वाला है। वैज्ञानिकों के मुताबिक पिछली बार जब यह कॉमेट धरती के पास से गुजरा था तब यहां निएंडरथल मानव (Neanderthal) रहते थे। यह धूमकेतु का नाम C/2022 E3 (ZTF) रखा गया है।

Green Comet in india coming near earth after 50 thousand year

नंगी आंखों से दिखेगा यह अद्भुत नजारा

30 जनवरी से लेकर 2 फरवरी तक यह धूमकेतु धरती के करीब रहेगा तथा 1 फरवरी को यह नजदीकी सबसे ज्यादा होगी। रात के समय में इसे नंगी आंखों से भी देखा जा सकेगा। खगोलविदों के अनुसार यह कॉमेट धूल और बर्फ से बना है और इसका रंग हरा है। अपने दुर्लभ रंग की वजह से ही इसके चारों ओर हरे रंग की रोशनी दिखाई देगी। जब यह पृथ्वी के सबसे पास होगा तब हमारे ग्रह और इस धूमकेतु के बीच की दूरी 2.7 करोड़ किलोमीटर के करीब होगी।

Green Comet in india coming near earth after 50 thousand year

भारत में भी दिखेगा यह अद्भुत दृश्य

रिपोर्ट्स के अनुसार 30 जनवरी से लेकर 2 फरवरी तक यह Green Comet तकरीबन पूरे भारत में दिखाई देगा। वहीं ओडिशा में इसे सबसे ज्यादा स्पष्ट तरीके से देखा जा सकेगा। वैसे तो रात के समय नंगी आंखों से ही इस पुच्छल तारे को देखा व पहचाना जा सकेगा। लेकिन अगर टेलिस्कोप की मदद ली जाए तो इस अद्भुत खगोलीय घटना का विहंगम दृश्य देखा जा सकेगा।

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