Samsung Galaxy S26 सीरीज में मिल सकती है सिलिकॉन-कार्बन बैटरी, जानें लीक डिटेल्स

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Highlights

  • सैमसंग गैलेक्सी एस26 सीरीज सिलिकॉन-कार्बन बैटरी के साथ बेहतर बैटरी लाइफ प्रदान कर सकती है।
  • कहा जाता है कि यह उभरती हुई तकनीक Li-आयन बैटरी कोशिकाओं की तुलना में अधिक सुरक्षित है।
  • शुरुआत में कहा गया था कि सैमसंग ‘स्टैक्ड बैटरी टेक्नोलॉजी’ का उपयोग करेगा।

सैमसंग Galaxy S25 सीरीज 22 जनवरी को ‘Galaxy Unpacked’ इवेंट में लॉन्च होने के लिए पूरी तरह तैयार है। हालांकि, इस सीरीज के लॉन्च से पहले ही 2026 में आने वाली फ्लैगशिप यानी Galaxy S26 सीरीज के बारे में खबरें सामने आने लगी है। जी हां, अपने सही सुना क्योंकि, हाल ही में S26 Ultra के डिस्प्ले अपग्रेड्स से जुड़ी एक रिपोर्ट सामने आई है। वहीं अब एक और नया अपडेट आया है। इस S26 सीरीज की बैटरी तकनीक ऑनलाइन लीक हो गई है।

Samsung Galaxy S26 सीरीज बैटरी

  • सामने आई जानकारी कि मानें तो, सैमसंग की अगले साल की फ्लैगशिप लाइनअप, Galaxy S26 सीरीज में सिलिकॉन-कार्बन बैटरी का उपयोग किया जा सकता है। जैसा कि, जुकानलोसरेवे ने वेइबो पर आइस यूनिवर्स का हवाला देते हुए कहा है।
  • सिलिकॉन-कार्बन बैटरियों की ऊर्जा घनता पारंपरिक ली-आयन बैटरियों की तुलना में अधिक होती है। इस तकनीक को अधिक सुरक्षित माना जाता है क्योंकि इसमें अधिक गर्म होने का खतरा कम होता है।

  • स्मार्टफोन ब्रांड्स ने अपने फ्लैगशिप/प्रीमियम मॉडल के लिए सिलिकॉन-कार्बन बैटरी की ओर रुख करना शुरू कर दिया है। इससे फोन के डिज़ाइन को बढ़ाए बिना बैटरी की क्षमता (उदाहरण के लिए 5,000/5,500mAh सेल से 6,000mAh और उससे अधिक) बढ़ाने की अनुमति मिल सकती है।
  • शुरुआत में यह रिपोर्ट की गई थी कि सैमसंग ‘स्टैक्ड बैटरी टेक्नोलॉजी’ का उपयोग करेगा, जो ऊर्जा घनता को 10 प्रतिशत तक बढ़ा सकती है। लेकिन अब ऐसा लगता है कि योजनाओं में बदलाव हो सकता है।
  • इस अफवाह का सच होना कितना संभव है, यह देखना होगा, लेकिन अगर सिलिकॉन-कार्बन तकनीक को लागू किया जाता है, तो यह Galaxy S26 सीरीज के लिए एक महत्वपूर्ण अपग्रेड होगा।

बैटरी अपग्रेड के अलावा एक हालिया लीक में यह कहा गया था कि सैमसंग 2026 के Ultra फ्लैगशिप में ‘Colour-filter-on-thin-film-encapsulation’ (CoE) तकनीक का उपयोग करेगा। कंपनी इस तकनीक का उपयोग अपने फोल्डेबल फोन (Galaxy Z Fold 3 से लेकर Z Fold 6 तक) में करती रही है। इस तकनीक में OLED के पोलराइजर प्लेट्स को एक रंग फिल्टर से बदल दिया जाता है और सामान्य Pixel Define Layer (PDL) को काले रंग में बदल दिया जाता है। यह स्क्रीन की मोटाई को घटाने में मदद करता है, साथ ही लाइट ट्रांसमिटेंस को बढ़ाता है।

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