”… सर नोकिया 3310 के नाम पर तो अब समाज सेवा ही हो रही है।”

इस लाइन को पढ़ने के बाद आप यही सोच रहे होंगे कि आखिर ऐसा क्या हो गया भाई जो नोकिया 3310 समाज सेवा बन गया। तो आपको बता दूं कि यह एक वाक्या है जो हमारे एक मोबाइल रिटेलर दोस्त ने हमें कहा है।

मामला कुछ यूं है कि हमें एक नोकिया 3310 लेना था और इसी के लिए हमने अपने एक रिटेलर दोस्त अशोक जी को कॉल किया। इनकी दुकान हर्षित कम्यूनिकेशन के नाम से दिल्ली के करोलबाग इलाके के बीडनपुरा में है। दुआ सलाम के बाद हमने ज्यादा समय न बिताते हुए उनसे कहा कि मुझे एक नोकिया 3310 लेना है कृपया एक डिवाइस की व्यवस्था कर दीजिए।

बस इतना सुनते ही उन्होंने थोड़े उदास भरे लहजे में कहा, सर नोकिया 3310 के नाम पर तो अब समाज सेवा ही हो रही है।

मैंने पूछा ऐसा क्या हो गया?
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तो उनका जवाब था, कंपनी जल्दी माल दे नहीं रही है और जब मिल रहा है तो काफी कम। ऐसे में स्टोर पर जब नोकिया 3310 आता है तो जो लोग स्टोर पर पहले से खड़े होते हैं फोन देखते ही कहते हैं कि यह फोन मेरा हो गया और रख लेते हैं। पैसे मिल जाते हैं लेकिन इसमें कमाई नहीं है। बाहर में नोकिया 3310 को ब्लैक किया जा रहा है। यह फोन लॉन्च कीमत से 1,000 रुपये ज्यादा तक में बिक रहा है। ऐसे में तो यही कहूंगा न मुकेश जी कि नोकिया 3310 के नाम पर समाज सेवा हो रही है।

हालांकि समाज सेवा की बात सुनकर मैं थोड़ा हंसा जरूर लेकिन इसकी गहराई को समझना जरूरी है। लंबे समय के बाद वापसी करने के बावजूद नोकिया की मांग अब भी है और रिटेलर्स इसे फिर से बेचना भी चाहते हैं लेकिन डिमांड के अनुसार सप्लाई कम है। इस वजह से रिटेलर्स और उपभोक्ता दोनों को परेशानी हो रही है। जिस ब्रांड के लिए भारतीय उपभोक्ताओं ने कई साल इंतजार किया है वह फिर से आया है और ​फोन मिल नहीं पा रहा तो फिर शायद आगे कंपनी के लिए थोड़ी परेशानी हो सकती है।