
देश में इस समय सबसे बड़ी ख़बर 500 और 1000 के नोटो का बंद होने की ही है। केंद्र सरकार के इस फैसले से जहां देश के नागरिकों की विभिन्न प्रतिक्रियाएं आ रही है वहीं दूसरी ओर नोटों की कमी की वजह से लोग मनचाही चीज़ों को भी नहीं खरीद पा रहे हैं। ऐसे समय में आॅनलाईन पेमेंट के विभिन्न तरीकों के प्रयोग में तो तेजी आई है परंतु अर्थव्यवस्था में राष्ट्रीय मुद्रा का बहाव कम हो जाने की वजह से मोबाईल बाज़ार पर गहरा असर पड़ा है।
लोगों के पास नई करंसी की कमी होने की वजह से भारत में जहां मोबाइल्स ग्राहकों की गिनती कम हुई है तथा मोबाइल्स फोन की ब्रिकी पर भी गिरावट देखी जा रही है वहीं मोबाइल स्टोर व शोरूमस् में स्टॉक बढ़ रहा है।
कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स एंड अप्लायंसेन्ज मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के मोबाइल काउंसिल हेड रविन्द्र जुत्शी के बयान अनुसार लोगोंं के पास पैसों की कमी के कारण वह फोन खरीदने नहीं आ रहे हैं जिस वजह से डीलर्स के पास भी अब ज़्यादा काम नहीं आ रहा है। और इसके चलते डीलर्स के पास जमा स्टॉक बढ़ता जा रहा है। रविन्द्र का कहना है कि ऐसी स्थिति आगामी 25 नवंबर तक बनी रह सकती है।
जियोनी इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर अरविंद वोहरा का कहना है कि नोट प्रतिबंध होने से एक बार तो ब्रिकी में 30 प्रतिशत तक की कमी आ गई थी जो फिलहाल 10 से 15 प्रतिशत तक है।

दिल्ली-एनसीआर में मोबाइल ब्रिकी और सप्लाई से जुड़े व्यापारियों के अनुसार लोगों के पास कैश की कमीं होने की वजह से रिटेल सेल में तेज गिरावट आई है और इसके चलते दुकान वालों ने स्टॉक करना बंद कर दिया है। और इसका सीधा असर मोबाईल बनाने वाली कंपनियों के वेयरहाउस पर पड़ रहा है जहां स्टॉक की मात्रा बढ़ रही है और सप्लाई काफी कम है। साल की आखिरी तिमाही में मोबाईल के आयात पर भी असर देखने को मिल रहा है।
नोट प्रतिबंध के चलते मोबाइल-वॉलेट कारोबार में होगा 50 प्रतिशत तक का ईजाफ़ा
500 और 1,000 रुपये के पुराने नोट बंद हो जाने से मोबाइल्स ब्रिकी में पहले की अपेक्षा गिरावट आई है। देखना यह है कि साल के आखिरी तीन महीनों में लॉन्च हुए नए मोबाइल्स फोन कितने लोगों तक पहुॅंच पाते है तथा विश्व मोबाइल बाजार में भारत की भागीदारी पर कितना असर पड़ता है।


















