
Google ने कुछ दिनों पहले ही अपने लेटेस्ट एंडरॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम Android 11 को आधिकारिक तौर पर लॉन्च किया है। यह नया ओएस धीरे धीरे पूरी दुनिया में रोलआउट हो रहा और विभिन्न ब्रांड्स के स्मार्टफोंस को एंडरॉयड 11 पर अपडेट किया जा सकता है। एंडरॉयड 11 स्टेबल वर्ज़न के ऑफिशियल लॉन्च के कुछ दिनों बाद ही आज गूगल ने स्मार्टफोन यूजर्स को सरप्राइज देते हुए घोषणा कर दी है कि कंपनी Android 11 Go edition को भी टेक मार्केट में पेश करने जा रही है।
Android 11 Go edition को अनाउंस करने के साथ ही गूगल ने उन हजारों लोगों को बड़ा तोहफा दिया है जो हाईएंड स्पेसिफिकेशन्स वाले फ्लैगशिप फोन नहीं खरीदना चाहते हैं तथा लो बजट वाले एंट्री लेवल स्मार्टफोन ही यूज़ करना पसंद करते हैं। एंडरॉयड 11 गो एडिशन का सबसे ज्यादा फायदा भारतीय मोबाइल उपभोक्ताओं को मिलने वाला है जो सस्ते स्मार्टफोंस में भी नए ऑपरेटिंग सिस्टम के जरिये बेहतर यूजर एक्सपीरियंस और फास्ट परफॉर्मेस पा सकेंगे। एंडरॉयड 11 गो एडिशन की अपडेट उन्हीं स्मार्टफोंस को मिलेगी जो 2 जीबी रैम या इससे कम रैम मैमोरी पर काम करते हैं।
Google ने एंडरॉयड 11 के ‘गो एडिशन’ की घोषणा करते हुए कहा है कि यह ओएस खासतौर पर उन स्मार्टफोंस के लिए बना है जो कम रैम मैमोरी के साथ लॉन्च किए जाते हैं। गूगल के अनुसार Android 11 Go edition के जरिये तकरीबन 100 मिलियन एंट्री लेवल स्मार्टफोंस स्पीड, रिलायबिलिटी और सिक्योरिटी के मामले में पहले से अधिक एडवांस और बेहतर हो जाएंगे। गूगल का दावा है कि एंडरॉयड 11 (Go edition) मोबाइल फोंस को पुराने एडिशन की तुलना में 20 प्रतिशत अधिक फास्ट बना देगा।
कुछ ऐसे होंगे नए फीचर्स
Android 11 Go edition को लेकर बताया गया है कि गो एडिशन में कई फीचर्स लेटेस्ट एंडरॉयड 11 से ही चुने गए हैं। एंडरॉयड 11 गो में भी conversations फीचर दिया जाएगा जिसमें यूजर अपनी मर्जी के अनुसार यह तय कर पाएंगे कि उन्हें मैसेंजिग ऐप में किस से बात करनी है और किसके मैसेज को बिना ओपन किए उसे नोटिफिकेशन्स में ही रखना है। इसमें रीसीव हुए मैसेज में से अपनी पसंद के लोगों को चुन कर उसने बातचीत कर पाएंगे। इसी तरह Bubbles फीचर के जरिये मैसेज को फ्लोटिंग बबल के जरिए एक्सेस किया जा सकेगा।
इसी तरह यूजर प्राइवेसी और सिक्योरिटी के मामले में भी गूगल का कहना है कि एंडरॉयड 11 एडिशन में कोई समझौत नही किया जाएगा। इस एडिशन में भी One-time permission और Permissions auto-reset जैसे फीचर्स देखने को मिल सकते हैं। इन फीचर्स के जरिये यूजर्स खुद तय कर पाएंगे कि किस ऐप को कब कब अपने फोन का एक्सेस देना है। यानि मोबाइल के माइक्रोफोन, कैमरा, कॉन्टेक्ट या लोकेशन इत्यादि का ऐक्सेस तब ही दिया जाएगा जब यूजर चाहेगा।



















