ISRO यानी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन समय-समय पर कुछ ऐसा कारनामा करता रहता है जिससे हम इंडियन्स का सिर गर्व से उंचा हो जाता है। आज 10 फरवरी 2023 का दिन भी ऐसा ही है। इसरो ने अपना सबसे छोटा रॉकेट सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया है। स्पेस एजेंसी ने SSLV-D2 (Small Satellite Launch Vehicle) की उड़ान के साथ ही पूरी दुनिया में अपना लोहा मनवाया है। इस लॉन्च ने साबित का दिखाया है कि अब हमारी ISRO के स्पेस मिशन पहले से भी सस्ते हो जाएंगे।
Indian Space Research Organisation ने आज सुबह साढ़े नौ बजे के करीब अपना सबसे सबसे छोटा रॉकेट Small Satellite Launch Vehicle-D2 सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया है। आंध्र प्रदेश में मौजूद श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से यह लॉन्चिंग की गई है। एसएसएलवी-डी2 हमारी स्पेस एजेंसी द्वारा अंतरिक्ष में भेजा गया अभी तक का सबसे छोटा रॉकेट है जिसके लॉन्च का प्रयास पिछले साल अगस्त में भी किया गया था।
#WATCH | Andhra Pradesh: ISRO launches Small Satellite Launch Vehicle-SSLV-D2- from Satish Dhawan Space Centre at Sriharikota to put three satellites EOS-07, Janus-1 & AzaadiSAT-2 satellites into a 450 km circular orbit pic.twitter.com/kab5kequYF
— ANI (@ANI) February 10, 2023
अंतरिक्ष में भेजे एक साथ 3 सैटेलाइट्स
SSLV-D2 अपने साथ 3 सैटेलाइट्स को लेकर अंतरिक्ष पहुंचा है। ISRO के इस रॉकेट के साथ अमेरिकी कंपनी ANTARIS का Janus-1 Satellite भेजा गया है। इसके साथ ही चेन्नई के स्पेस स्टार्टअप स्पेसकिड्ज की सैटेलाइट AzaadiSAT-2 और ISRO Satellite EOS-07 ने भी एसएसएलवी-डी2 के साथ स्पेस का रूख किया है। इनमें अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट ईओएस-07 सबसे भारी है जिसका भार 156.3 किलोग्राम है।
गौरतलब है कि इन तीनों कृत्रिम उपग्रहों में अमेरिका जानुस-1 का वज़न 10.2 किलोग्राम है तथा आज़ादीसैट-2 का भार 8.7 किलोग्राम बताया गया है। ये तीनों ही सैटेलाइट्स धरती से 450 किलोमीटर दूर सर्कुलर ऑर्बिट में स्थापित की जाएंगी। बता दें कि AzaadiSAT-2 का निर्माण स्पेसकिड्ज के वैज्ञानिकों की अगुवाई में ग्रामीण इलाकों से आने वाली 750 लड़कियों ने मिलकर किया है। यह भी पढ़ें: दुनिया में फहरेगा ISRO का परचम! Elon Musk के SpaceX जैसे रॉकेट बनाएगा इंडिया, आसान होंगे अंतरिक्ष के मिशन
SSLV की खूबी
स्मॉल सैटेलाईट लॉन्च व्हीकल यानी एसएसएलवी का वज़न 120 टन है। इस रॉकेट की लंबाई 34 मीटर तथा इसका व्यास 2 मीटर है। इसरो का SSLV 10 किलोग्राम से लेकर 500 किलोग्राम तक के पेलोड्स अंतरिक्ष में जा सकता है। यह छोटा रॉकेट स्पेस में 500 किलोमीटर तक की दूरी पर जाकर उपग्रहों को सेट कर सकता है।
आपको जानकर हैरानी होगी कि ISRO का SSLV सिर्फ 72 घंटे में ही तैयार हो जाता है। वहीं इस रॉकेट को बनाने में सिर्फ 30 करोड़ रुपये का खर्च आता है। अगर PSLV से तुलना करें तो इसे बनाने की लागत 130 से 200 करोड़ रुपये तक की होती है। फिलहाल तो SSLV श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से छोड़ा गया है लेकिन प्राप्त जानकारी अनुसार तमिलनाडु के कुलाशेखरापट्नम में नया स्पेस पोर्ट स्मॉल सैटेलाइल लॉन्च कॉम्प्लेक्स (SSLC) बन रहा है और एसएसएलवी की लॉन्चिंग आगे वहीं से होगी।