अधिक Virtual RAM वाला फोन खरीदने में समझदारी है या फिर ज्यादा Physical RAM वाला फोन लेना है बेस्ट, जानें जवाब

Join Us icon

नया स्मार्टफोन खरीदते वक्त आमतौर पर यूजर मोबाइल में उसकी डिसप्ले, कैमरा, बैटरी और प्रोसेसर देखते हैं। मोबाइल कंपनियां भी अपने फोंस को बेचने के लिए उनकी खासियतों को गिनवाती है और प्रोमेट करती है। इन दिनों स्मार्टफोन के फीचर्स के बीच वर्चुअल रैम यानी एक्सटेंडेड रैम का भी जिक्र खूब होता है और ब्रांड्स अपने फोन को 3GB Extended RAM और 5GB Extended RAM जैसी बातें बोल कर बेस्ट बताते हैं। लेकिन क्या आपको पता है यह वर्चुअल रैम क्या होती है और किस तरीके से काम करती है? Virtual RAM के बारे में जानने के लिए (यहां क्लिक करें)। वहीं Virtual RAM फोन की Physical RAM से कितनी अलग है और अधिक वर्चुअल रैम वाला फोन खरीदने में समझदारी है या फिर ज्यादा फिजिकल रैम वाला फोन लेना बेस्ट है, इस सवाल का जवाब आगे दिया गया है।

Physical RAM और Virtual RAM में अंतर

स्मार्टफोन में परफॉर्मेंस की बात करें तो Virtual RAM की कार्य प्रणाली या यूं कहें कि वर्चुअल रैम की परफॉर्मेंग Physical RAM की तुलना में कम व थोड़ी धीमी होती है। फिजिकल रैम को फोन के मदरबोर्ड के साथ अटैच किया जाता है और इसकी स्पीड वर्चुअल रैम से काफी तेज होती है। स्मार्टफोन में मल्टीटॉस्किंग और ऐप्स इत्यादि पहले फिजिकल रैम पर ही काम करती और जब वह रैम मैमोरी कम पड़ने लगती है तब ज्यादा स्पेस की जरूरत पूरी करने के लिए वर्चुअल रैम का इस्तेमाल किया जाता है।

What is Virtual RAM technology and benefits in smartphone mobile

फिजिकल रैम मोबाइल की प्राइमरी रैम होती है। जब कोई भी काम शुरू होता है और ऐप्स को चलाया जाता है तो सभी कार्य फिजिकल रैम पर ही होते हैं। जब टॉस्किंग हैवी हो जाती है और फिजिकल रैम को एक्स्ट्रा मैमोरी की जरूरत होती है तब इंटरनल स्टोरेज पर रिजर्व रैम मैमोरी यानी वर्चुअल रैम का यूज़ शुरू होता है। यह काम कैसे होता और फिजिकल रैम व वर्चुअल रैम के बीच तालमेल कैसे बनता है इसकी जानकारी आगे दी गई है।

Mobile Phone में दोनों RAM कैसे काम करती है

कोई भी टॉस्क सबसे पहले फिजिकल रैम द्वारा ही हैंडल किया जाता है। जब टास्क की गिनती बढ़ जाती है और रैम मैमोरी कम पड़ने लगती है तब फोन की वर्चुअल रैम का काम शुरू होता है। फिजिकल रैम भरने लगती है तो वह अपना कुछ डाटा वर्चुअल रैम को ट्रांसफर देती और इस तरह फिजिकल रैम की मैमोरी से खाली हो जाती है। इस प्रक्रिया को swapping technique भी कहा जाता है। वर्चुअल रैम को डाटा दिए जाने के बाद खाली हुई फिजिकल रैम फिर से अपने टास्क में जुट जाती है। और जब कोई टॉस्क खत्म हो जाता है तो फिजिकल रैम वर्चुअल रैम को दिया गया डाटा फिर से वापिस मांग लेती है। Virtual RAM का काम करने का यह तरीका paging भी कहलाता है।

what is difference between Physical and Extended Virtual RAM which is best

क्या है बेहतर

उदाहरण की बात करें एक कंपनी ने अपने फोन को 6GB RAM + 64GB Storage पर लॉन्च किया है जो 3GB Extended RAM यानी 3जीबी वर्चुअल रैम सपोर्ट करता है। इस फोन में यूजर को 6 जीबी + 3 जीबी रैम यानी कुल 9GB RAM की पावर तो मिलेगी लेकिन दूसरी ओर उपभोक्ता इसमें 64 जीबी की जगह 61 जीबी इंटरनल स्टोरेज का ही यूज़ कर पाएंगे। वहीं अगर यूजर बिना एक्सटेंडेड रैम/वर्चुअल रैम तकनीक वाला फोन 8GB RAM + 64GB Storage पर खरीदते हैं तो इस 8GB फिजिकल रैम वाले फोन की परफॉर्मेंस 9GB वर्चुअल रैम वाले फोन के बेहतर और फास्ट रहेगी।

No posts to display

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here