वह वक्त याद है जब मोबाइल फोंस में 1 जीबी रैम होना ही बेहद पावरफुल माना जाता था? स्मार्टफोन तो दूर की बात है, कम्प्यूटर और लैपटॉप में भी यदि 2जीबी-3जीबी रैम मिल जाती थी तो मस्ती के साथ गेम खेलने बैठ जाते थे। समय के साथ मोबाइल बाजार एडवांस होता जा रहा है और अब स्मार्टफोंस में 2 जीबी या 4GB RAM नहीं बल्कि 8GB और 12GB तक की RAM दी जाने लगी है। नया मोबाइल खरीदने से पहले लोग बड़े चाव से अधिक रैम वाले फोन वेरिएंट परचेज करते हैं और इसके लिए अतिरिक्त पैसा चुकाने से भी परहेज़ नहीं करते। लेकिन कभी आपने सोचा है कि क्या वाकई में हमें 8 जीबी या 12 जीबी रैम वाले स्मार्टफोंस की जरूरत है?
स्मार्टफोन मार्केट की प्रतिस्पर्धा किसी से छिपी नहीं है। टेक ब्रांड्स की कोशिश रहती है कि मोबाइल यूजर्स को खुद से जोड़ा जाए और इसके लिए एडवांस और इम्प्रूव्ड डिवाईस लॉन्च किए जाते हैं। कोई एक आस्पेक्ट यदि हिट हो जाता है मोबाइल कंपनियां उस ट्रेंड की पूंछ पकड़े हुए अपने फोंस लॉन्च करती जाती है। ऐसा ही एक आस्पेक्ट है स्मार्टफोंस में मौजूद रैम मैमोरी। बड़ी रैम मैमोरी को हाईएंड स्पेसिफिकेशन्स माना जाता है तथा ज्यादा रैम को हैवी प्रोसेसिंग से जोड़ा जाता है। मार्केट में 8 जीबी रैम और 12GB RAM वाले एंडरॉयड फोन आने लगे हैं। लेकिन बेहद कम स्मार्टफोंस यूजर्स जानते हैं स्मार्टफोन की प्रोसेसिंग में रैम का योगदान सीमित ही होता है और इसके लिए जरूरी नहीं कि 8 जीबी या इससे भी बड़ी रैम वाला फोन खरीदा जाए। आगे अपने आर्टिकल के जरिये हमने बड़ी रैम के चक्कर में अधिक पैसा खर्च करने वाले यूजर्स के काम की जानकारी दी है।
रैम का काम
RAM यानी Random Access Memory. सबसे पहले आसान शब्दों में जानते हैं कि स्मार्टफोन में रैम का यूज़ क्या होता है। मोबाइल फोन में जब कोई ऐप्लीकेशन इंस्टाल की जाती है तो वह फोन की इंटरनल मैमोरी में स्टोर होती है। वहीं जब किसी ऐप को स्मार्टफोन में ओपेन या रन किया जाता है तो उसके लिए RAM का इस्तेमाल होता है। मतलब जो भी ऐप्लीकेशन चलेगी वह रैम मैमोरी पर चलेगी। सिर्फ एक ऐप ही नहीं एक बार में स्मार्टफोन में जो-जो काम किया जाता है वह सब रैम मैमोरी पर ही होता है।
WhatsApp पर चैटिंग, Instagram/FaceBook पर फीड स्क्रॉलिंग और YouTube पर वीडियो से लेकर फोन में गेमिंग तक, ये सभी काम RAM के जरिये ही किए जाते हैं। सीधे शब्दों में कहें तो स्मार्टफोन में जो भी मल्टीटॉस्किंग होती है उसे फोन की रैम द्वारा हैंडल किया जाता है। इसी तरह एक ऐप पर काम करने के दौरान अचानक से बीच में दूसरी ऐप को ओपन कर लेना और फिर वापिस उस पहली ऐप पर चले जाना जैसे टॉस्क स्विचिंग कार्यो में भी रैम मैमोरी का भरपूर योगदान होता है। यह भी पढ़ें : चार्जिंग के नाम पर हो रही है डाटा की चोरी, चार्ज में लगाते ही हैक हो जाएगा आपका फोन
इस लेख में:
क्या होगा अगर रैम हो कम
Multitasking
अगर आपने अपने फोन में 5 या 6 Apps खोल रखी हैं तो वह बैकग्राउंड में रन करती रहेगी। ऐप एंड न करने पर वो सभी ऐप्स लगातार चलती रहेगी और स्मार्टफोन में मौजूद रैम हर ऐप की जरूरत के हिसाब से कुछ एमबी या जीबी स्पेस उन्हें दे देती रहेगी। इसी क्रम में यदि आप कोई 7वीं या 8वीं ऐप भी खोल लेंगे तो रैम पहले से ओपन ऐप को दिया गया मैमोरी स्पेस कुछ कम करके नई ऐप्स को उपलब्ध करा देगी। और यदि फोन में रैम कम है तो इस पूरी मल्टीटॉस्किंग की प्रक्रिया में एक साथ सभी 8 ऐप्स ओपेन नहीं रह पाएगी और रैम द्वारा ही कुछ ऐप्स को अपने आप बंद कर दिया जाएगा।
Task Switching
आप मोबाइल पर कोई खेल रहे हैं और अचानक से व्हाट्सऐप पर नए मैसेज की नोटिफिकेशन आती है। आप नोटिफिकेशन बार को स्क्रॉल डाउन करके उस मैसेज पर टच करते हैं तो व्हाट्सऐप खुल जाता है। वहां मैसेज का रिप्लाई करने के बाद जब बैक बटन दबाकर वापिस गेम पर आते हैं तो देखते हैं कि गेम फिर से रिलोड हो रहा है। टॉस्क स्विचिंग में ऐप का स्लो होना या लोड होने में वक्त लेना यह सब कम रैम की वजह से ही होता है। एक साथ कई ऐप्स ओपेन होने पर या हैवी गेम खेलने पर यह टॉस्क स्विचिंग की समस्या सामने आती है जिसका कारण Low RAM ही है।
फोन के लिए कितनी रैम की जरूरत
अब आता है वही सवाल जिसका जवाब आप जानना चाहते हैं, एक स्मार्टफोन में कितनी GB RAM की जरूरत होती है। एक्सपर्ट्स के अनुसार यदि कोई यूजर अपने फोन में लंबे समय तक गेम नहीं खेलता है और रोजमर्रा में कुछ चुनिंदा ऐप ही यूज़ करता है तो ऐसी मल्टी टॉस्किंग के लिए 3 जीबी रैम मैमोरी काफी है। वहीं 4 जीबी रैम मैमोरी के साथ हैवी गेम्स को सही तरीके से खेला जा सकता है। आज के समय में स्मार्टफोन के लिए 6 जीबी रैम को आदर्श माना जा सकता है। यह भी पढ़ें : 20,000 रुपए से भी कम कीमत वाले Best Gaming स्मार्टफोन, यहां देखें फुल लिस्ट
कम रैम पर कैसे होगी फास्ट प्रोसेसिंग
यहां पर साफ कर दें कि आपके स्मार्टफोन की स्पीड उसकी रैम पर निर्भर नहीं करती है। ऐसा नहीं है कि फोन में ज्यादा रैम होगी तो फोन की प्रोसेसिंग स्पीड भी ज्यादा होगी। फोन की स्पीड उसमें मौजूद Processor/Chipset पर निर्भर करती है। रैम बहुत ज्यादा नहीं है लेकिन प्रोसेसर पावरफुल है तो वह फोन यकिनन फास्ट, स्मूथ और लैग-फ्री रिजल्ट देगा।
उदाहरण के तौर पर यदि एक Android SmartPhone 4 जीबी रैम मैमोरी के साथ Qualcomm Snapdragon 845 SoC सपोर्ट करता है और दूसरे फोन में 8 जीबी रैम के साथ स्नैपड्रैगन 660 चिपसेट दिया गया है तो इनमें से पहला फोन अच्छा प्रदर्शन करेगा। वह इसलिए क्योंकि बेशक उसमें रैम कम है लेकिन उसका प्रोसेसर दूसरे फोन की तुलना में अधिक ताकतवर है। कम रैम के बावजूद अच्छी प्रोसेसिंग को सबसे बड़ा उदाहरण Apple iPhone है। आईफोंस में रैम कम होती है और फोन पावरफुल प्रोसेसर की वजह से बिना हैंग हुए गजब काम करते हैं।