
सैमसंग गैलेक्सी नोट 7 में बैटरी ब्लास्ट होने की खबर के बाद सबको यह अहसास हुआ कि ऐसा भी कुछ हो सकता है। थोड़ी सी चूक और भारी नुकसान। वह एक गलती का परिणाम था इसे छोटी बात तो नहीं कह सकते लेकिन जब आप बैटरी बनने के प्रोसेस और उसके टेस्ट के बारे में जानेंगे तो यह जरूर कह बैठेंगे कि ऐसा कैसे हो सकता है इतने प्रोसेस से होकर गुजरने के बाद बैटरी की समस्या नहीं हो सकती।
बैटरी बनने और उसके टेस्ट को देखने का मौका हमें भी मिला जिसे हमने अपने पाठकों के साथ साझा करना जरूरी समझा। हम इंटेक्स की ग्रेटर नोएडा फैक्ट्री में थे जहां बैटरी टेस्ट प्रोसेसिंग को बेहद ही बारीकी से बताया गया। एक बैटरी प्रयोग में लाए जाने से पहले 8 परीक्षणों से होकर गुजरती है, जो इस प्रकार है:
थर्मल शॉक टेस्टर
इस टेस्ट के दौरान फोन की बैटरी को 70डिग्री से भी ज्यादा टेम्परेचर में रखा जाता है। बैटरी को इतने गर्म वातावरण में रखने की अवधि 40 से 48 घंटे तक हो सकती है। अगर इतने ज्यादा टैम्परेचर में भी आग नहीं लगती है तो मतलब बैटरी ठीक है।
क्रश/नेल पेनेट्रेशन टेस्टर
जैसा कि नाम से पता लगा रहा है, इस परीक्षण में बैटरी को क्रश या नेल किया जाता है। बैटरी को एक सतह पर फिक्स किया जाता है और फिर उसपर भारी आॅब्जेक्ट से 1 मिनट से भी ज्यादा समय तक लगातार दवाब बनाया जाता है। यह बैटरी के प्रेशर व भारी दबाव सहने की क्षमता परखता है।
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इम्पेक्ट टेस्टर
यह टेस्ट बैटरी ब्लास्ट को परखता है। इस टेस्ट में बैटरी पर 70 किलो से भी ज्यादा भारी आब्जेक्ट निश्चित उंचाई से गिराया जाता है। इतना वजन टकराने से तेज आवाज के साथ बैटरी भी पिचक जाती है लेकिन अगर बैटरी खराब या डिफेक्टिव हो तो उसके बारूद में ब्लास्ट हो सकता है।
शॉर्ट सर्किट टेस्टर
इस परीक्षण में बैटरी के पॉजीटिव और नेगिटिव कनेक्टर को अपोजिट डीसी का करंट दिया जाता है। इस परीक्षण में अर्थिंग करंट भी शामिल होता है। जो आमतौर पर घरों में फोन चार्ज करने के दौरान बैटरी पर असर डालता है।
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फ्री फॉल टेस्टर
इस टेस्ट में बैटरी को एक निश्चित उंचाई से क्रंकीट की सतह पर अलग अलग एंगल और तरीकों से गिराया जाता है। यह टेस्ट फोन के गिरने पर बैटरी में लगने वाली आग की जांच करता है।
लो प्रेशन टेस्टर
इस टेस्ट में बैटरी को कम दबाव वाले कंटेनर में कई घंटो तक स्टोर करके रखा जाता है। इस परीक्षण में बैटरी व उसके पदार्थो की वेन्टिंग, लीकेज़, बैटरी के खांचें का खुल जाना या फुल जाने जैसी समस्याओं पर गौर किया जाता है।
ओवर चार्ज एंड डिस्चार्ज चेंबर
इस परीक्षण में बैटरी को अलग-अलग एंपीयर के करंट पर तेजी से चार्ज और डिस्चार्ज किया जाता है। इस टेस्ट के बैटरी पावर की रिलायबिलिटी तथा उसकी लाईफ को चैक किया जाता है।
वायब्रेटर टेस्ट
हमारा फोन कॉलिंग या सफर के दौरान लगातार वायब्रेट होता है। और साथ साथ वायब्रेट होती है बैटरी। इस टेस्ट में बैटरी को वायब्रेशन वाली सतह पर बांधकर उसे लगातार वायब्रेट किया जाता है। और परखा जाता है कि वायब्रेशन से बैटरी पर कोई नेगेटिव प्रभाव पड़ रहा है या नहीं।
तो देखा आपने, किसी भी फोन के लिए बैटरी चुनना बेशक कितना ही आसान हो लेकिन उसे आपके फोन व आपके प्रयोग के लिए बिल्कुल सुरक्षित सुनिश्चिति करने के लिए मोबाईल कंपनियां कितनी सावधानी बरतती है।




















