
5G Spectrum Auction अपना पहला पड़ाव पूरा कर चुका है और इंडियन टेलीकॉम ऑपरेटर्स अपने हिस्से के 5जी स्पेक्ट्रम हासिल चुके हैं। नीलामी में कुल 10 बैंड्स को शामिल किया गया था जिसमें 700 MHz 5G Band भी मौजूद था। रिलायंस जियो ने 88,078 करोड़ रुपये की बोली लगाते हुए सबसे ज्यादा 24,740 MHz स्पेक्ट्रम का अधिग्रहण किया है। ऑक्शन पूरा हो चुका है और अब बस इंतजार है तो 5G Service India में शुरू होने का। लेकिन इससे पहले आपके लिए जानना जरूरी है कि ये जो 5जी स्पेक्ट्रम नीलामी में रखे गए थे, वो क्या हैं और कैसे काम करते हैं।
5G frequency band in India
ये स्पेक्ट्रम ही हैं जो मोबाइल यूजर्स को मिलने वाली 5G Service की गुणवत्ता और 5G Network तथा 5G Internet की क्वॉलिटी तय करेंगे। बता दें कि 5G Spectrum Auction में भारत सरकार की ओर से कुल 10 5G frequency bands को शामिल किया गया था। मोटे तौर पर ये लो फ्रीक्वेंसी बैंड, मिड फ्रीक्वेंसी बैंड और हाई फ्रीक्वेंसी बैंड में बांटे गए थे। इनमें से 600 MHz, 700 MHz, 800 MHz, 900 MHz, 1800 MHz, 2100 MHz, 2300 MHz और 2500 MHz लो फ्रीक्वेंसी बैंड में आते हैं। वहीं 3300 MHz मीडियम फ्रीक्वेंसी बैंड है तथा 26GHz हाई फ्रीक्वेंसी रेडियो वेव्स बैंड है।
High Frequency 5G Bands
हाई बैंड का इस्तेमाल मुख्य तौर पर घनी आबादी वाले क्षेत्रों के लिए किया जाता है। High Frequency 5G Bands पर 3 Gbps तक की स्पीड हासिल की जा सकती है। इसमें कवरेज एरिया तो कम होता है लेकिन जितना क्षेत्र होता है उसमें हाई फ्रीक्वेंसी सिग्नल प्राप्त होते हैं। हाई फ्रीक्वेंसी बैंड को mm waves स्पेक्ट्रम के नाम से भी जाना जाता है जो 25Ghz से 39Ghz के बीच काम करता है। हाई बैंड टॉवर की उंचाई भी कम होती है क्योंकि बिल्डिंग इत्यादि की वजह से इनके नेटवर्क बाधित हो जाते हैं। बेहतर कवरेज के लिए सीमित दायरे में अधिक मॉडम टॉवर की जरूरत पड़ती है इसलिए ये कॉस्ट में भी महंगे होते हैं।

Mid Frequency 5G Bands
कम आबादी वाले कस्बों व छोटे शहरों के लिए मिड बैंड बेहद काम का है। यह हाई फ्रीक्वेंसी बैंड से अधिक एरिया में नेटवर्क प्रदान करता है तथा एक ही टॉवर या मॉडम के जरिये लंबी दूरी तक कवरेज पहुंचाई जा सकती है। हां, इसमें इंटरनेट स्पीड हाईबैंड की तुलना में थोड़ी कम मिलती है। High Frequency 5G Bands 2.5Ghz से 3.7Ghz के बीच काम करते हैं तथा इन पर 900 Mbps तक की इंटरनेट स्पीड हासिल की जा सकती है। मिड बैंड 5जी के लिए चार्ज भी हाई बैंड की तुलना में कम ही वसूला जाता है।
Low Frequency 5G Bands
लो फ्रीक्वेंसी बैंड को ग्रामीण एरिया के लिए बेस्ट बताया गया है। लो बैंड पर सबसे ज्यादा कवरेज एरिया मिलता है। इसमें हाई व मिड बैंड की तुलना में इंटरनेट स्पीड थोड़ा कम हो जाती है लेकिन सिग्नल के मामले में इसे सबसे सही माना गया है। Low Frequency Bands वाले मोबाइल टॉवर अधिक उंचाई पर लगाए जाते हैं जो 6 से 10 किलोमीटर की दूरी तक अपनी सिग्नल रेंज पहुंचा सकते हैं। लो बैंड 5जी 600MHz से 850 MHz फ्रिक्वेंसी के बीच काम करता है तथा 50 से 250 Mbps तक की इंटरनेट स्पीड देने में सक्षम होता है। यानी इस पर मौजूदा 4G Internet से अधिक स्पीड ही मिलेगी।




















