मोबाइल देखते ही आपका पहला सवाल यही होत है कि इसमें स्क्रीन कितने इंच की है और पैनल कौन सा लगा हुआ है। क्योंकि यही वह चिज है जिस पर सबकुछ निर्भर है। आज मोबाइल में डिसप्ले नहीं तो फिर कुछ नहीं। यही वजह है कि आए दिन डिसप्ले को लेकर कुछ नए-नए इनोवेशंस देखने को मिलेते रइते हैं। आपने अक्सर LCD, AMOLED, OLED, आईपीएस जैसे डिसप्ले पैनल तकनीक का नाम सुना होगा। इसके अलावा Corning Gorilla Glass और Dragon trail शब्द भी काफी सालों से सुनने को मिल रहे हैं। पिछले साल दो साल की बात करें तो Notch और Curved डिसप्ले को लेकर काफी चर्चा रही है। परंतु वर्ष 2019 से रिफ्रेश रेट को लेकर बातें होने लगीं जो अब तक जारी है। 60 हर्ट्ज रिफ्रेश रेट, 90 हर्ट्ज रिफ्रेश रेट और 120 हर्ट्ज रिफ्रेश रेट। ऐसे में आप भी जानना चाहेंगे कि यह रिफ्रेश रेट आखिर है क्या? इसके क्या फायदे हैं और कौन सा रिफ्रेश रेट आपके लिए बेस्ट है? तो चलिए डिसप्ले रिफ्रेश रेट के बारे में हम विस्तार से जानते हैं।
क्या है रिफ्रेश रेट
मोबाईल, टीवी या किसी भी स्क्रीन पर आप जो कुछ भी देखते हैं वह वास्तव में कई प्रोसेस के बाद दिखाई देता है। जब सारा प्रोसेस सही हो तभी जाकर चीजें स्क्रीन पर प्रदर्शित होती हैं। इसके लिए बैकग्राउंड में कई तकनीक का उपयोग किया जाता है और इन्हीं में से एक तकनीक है रेंडर। रेंडर की प्रक्रिया रिफ्रेश रेट के नाम से जानी जाती है। अर्थात 1 सेकेंड में इमेज़ज और ग्राफिक्स को जितनी बार रेंडर किया जा सकता है वह उस डिसप्ले का उतना रिफ्रेश रेट होता है। इसे भी पढ़ें: सिर्फ 3 सेटिंग से आपका एंड्रॉयड फोन हो जाएगा फास्ट
रिफ्रेश रेट और हर्ट्ज में क्या है सम्बंध
जैसा कि आप जान गए कि रेंडर की प्रकिया को 1 सेकेंड में जितनी बार दुहराई जाती है उसे रिफ्रेश रेट कहते हैं और इस रिफ्रेश रेट को मापने का जो पैमाना है वह हर्ट्ज के नाम से जाना जाता है। इसलिए हर बार रिफ्रेश रेट के साथ आपको हर्ट्ज देखने को मिलेगा। इसे भी पढ़ें: Whatsapp का यह ट्रिक है आपके बड़े काम का
60 हर्ट्ज, 90 हर्ट्ज और 120 हर्ट्ज रिफ्रेश रेट
साधारणत: मोबाइल फोन या टीवी में 60 हर्ट्ज रिफ्रेश रेट का उपयोग किया जाता है। यानि ग्राफिक्स या इमेजेज़ को 1 सेकेंड में 60 बार रिफ्रेश किया जा रहा है। इसी तरह 90 हर्ट्ज़ रिफ्रेश रेट का आशय है कि आपका फोन, टीवी या कम्प्यूटर की स्क्रीन पर किसी भी चीज को डिसप्ले होने से पहले उसके फ्रेम्स को 1 सेकेंड में 90 बार रेंडर किया जा रहा है। हालांकि जितनी आसानी से हम 90 हर्ट्ज रिफ्रेश रेट सुन रहे हैं यह काम उतना आसान है नहीं। इसे साधारण प्रोसेसर और कम रैम पर करना संभव नहीं है बल्कि हाई परफॉर्मेंस वाले हार्डवेयर कॉम्बिनेशन का होना जरूरी है। हाल के दिनों में कुछ फोन लॉन्च किए गए हैं जिनमें 120हर्ट्ज़ रिफ्रेश रेट का उपयोग किया गया है। अर्थात इन फोंस के हार्डवयर किसी फ्रेम को 1 सेकेंड में 120 बार रिफ्रेश करता है। यानी कि साधारण फोन की अपेक्षा दो गुणा ज्यादा बार। इसे भी पढ़ें: जानें कैसे करें अपने मोबाइल नंबर को दूसरी कंपनी में पोर्ट, देखें का MNP सबसे फास्ट तरीका
हाई रिफ्रेश रेट फायदेमंद है!
हाई रिफ्रेश रेट के लिए उच्च क्षमता वाले हार्डवेयर की जरूरत होती है लेकिन इसका सीधा असर आपके फोन के स्क्रीन पर दिखाई देगा। मोबाइल या टेलीवीज़न में जो भी दिखाई देते हैं वह फ्रेम आधार पर होते हैं और फ्रेम्स जितनी तेजी के साथ रेंडर होंगे डिसप्ले उतना ही स्मूथ लगेगा। ज्यादा रिफ्रेश रेट वाले टीवी या मोबाइल का व्युजुअल साधारण 60 हर्ट्ज रिफ्रेश रेट वाले डिसप्ले के बजाए ज्यादा बेहतर लगेगा। इसके अलावा स्क्रॉलिंग बेहतर हो जाएगा और वीडियो देखने के दौरान प्ले बैक भी काफी स्थिर रहेगा।
हालांकि डाउनलोडेड वीडियो में यह फर्क आपको कम नजर आएगा लेकिन जब आप वीडियो को स्ट्रीम करेंगे या फिर हैवी ग्राफिक्स वाले गेम खेलेंगे तो सप्ष्ट रूप से समझ में आ जाएगा। पुराने फोन में जब आप गेम खेल रहे होंगे तो फ्रेम थोड़े अटकते होंगे साथ ही साथ ग्राफिक्स थ़ोड़ा फटा—फटा सा लगता होगा। परंतु जब आप 90 हट्र्ज या 120 हर्ट्ज रिफ्रेश रेट वाले डिसप्ले में हैवी ग्राफिक्स के गेम खेलेंगे तो ऐसा अहसास नहीं होगा। यह काफी स्मूथ होगा।
अक्सर गेम या वीडियो स्ट्रीमिंग के दौरान जब व्यूजुअल अटकते हैं तो हम यही कहते हैं कि कम रैम और साधारण प्रोसेसर की वजह से ऐसा हो रहा है। परंतु हर बार कारण सिर्फ रैम और प्रोसेसर नहीं होते बल्कि कम रिफ्रेश रेट भी होता है।
थोड़ा नुकसान भी
कहते हैं न कि हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। ऐसे में हाई रिफ्रेश रेट का फायदा है तो थोड़ा नुकसान भी है। 90 हर्ट्ज या 120 हर्ट्ज रिर्फेश रेट वाले डिसप्ले के साथ मुख्य रूप से दो नुकसान हैं। एक तो इसमें बिजली की खपत बढ़ जाती है। टीवी घर में लगा होता है ऐसे में वहां पता नहीं चलता लेकिन मोबाइल में तो आपको अहसास हो जाएगा। बैटरी तेजी से खत्म होगा। हालांकि कई मोबाइल निर्माता कुछ खास तकनीक का उपयोग कर रहे हैं जिसमें यदि एक समान फ्रेम हो तो डिसप्ले बार—बार उसी फ्रेम को रेंडर नहीं करता है जिससे बैटरी की बचत होती है। परंतु इससे बैटरी पर थोड़े बहुत का ही फर्क पड़ता है।
वहीं इसकी दूसरी कमी है कि अभी ज्यादा ऐप्स या गेम्स 90 हर्ट्ज रिफ्रेश रेट भी सपोर्ट नहीं करते। ऐसे में आप महंगा फोन ले तो लेते हैं लेकिन उसकी उपयोगिता थोड़ी कम है। हां स्मूथ डिसप्ले का अहसास ज़रूर होगा। वहीं आप भविष्य के लिए पहले से तैयार रहेंगे यह फायदा तो है।
एक बात और बताना जरूरी है कि भले ही आप 90 हर्ट्ज या 120 हर्ट्ज रिफ्रेश रेट का फोन लें उसमें आपको रिफ्रेश रेट बदलने का विकल्प होता है। ऐसे में यदि आपको लगे कि बैटरी काफी जल्दी खत्म हो रहा है तो आप रिफ्रेश रेट को कम कर सकते हैं। सिर्फ गेमिंग या वीडियो के दौरान बेहतर एक्सपीरियंस के लिए उसे बढ़ा सकते हैं।
हाई रिफ्रेश रेट डिसप्ले वाले फोन
2018 तक सिर्फ 60 हर्ट्ज रिफ्रेश रेट वाले मोबाइल फोन ही थे। परंतु पिछले साल 2019 की शुरुआत में ही वनप्लस ने अपने 7 सीरीज के साथ इसकी शुरुआत की थी। कंपनी ने सबसे पहले Oneplus 7 pro को उतारा था। इसके बाद Oneplus ने ही 7t और 7t pro को पेश किया था। बाद में दूसरी कंपनियों ने इसे अपने फोन में पेश किया जिसमें Nubia red magic 3s, Realme X2 Pro, Realme X 50 Pro, Oppo Reno 3 Pro और Poco X2 सहित कई फोन उपलब्ध हो चुके हैं। वहीं खास बात यह कही जा सकती है कि हाल में रियलमी ने कम रेंज में रियलमी 6 और रियलमी 6 प्रो को पेश किया है और इनमें भी 90 हर्ट्ज वाला डिसप्ले दिया गया है।
वहीं 120 हर्ट्ज रिफ्रेश रेट की बात करें तो सबसे पहले ASUS ने ROG 2 model में इसे पेश किया था। इसके बाद सैमसंग ने अपने गैलेक्सी एस20 सीरीज में इसे पेश किया है। Samsung Galaxy S20, Galaxy S20 Plus और Galaxy S20 Plus Ultra में ये 120 हर्ट्ज रिफ्रेश रेट वाला डिसप्ले है।
क्या होगा आगे?
फिलहाल 90 हर्ट्ज रिफ्रेश रेट वाले फोन की संख्या काफी कम है। परंतु जैसा कि हमने बताया कि फिलहाल Realme 6 और Realme 6 Proप्रो सबसे कम कीमत के फोन हैं जिनमें 90 हर्ट्ज का डिसप्ले दिया गया है। वहीं आने वाले दिनों में यह फीचर और भी कम रेंज के फोन में उपलब्ध हो जाएगा। हां अभी 120 हर्ट्ज रिफ्रेश रेट वाले फोन थोड़े महंगे हैं लेकिन आशा है कि इस साल के अंत तक वह भी 20 हजार रुपये से कम में उपलब्ध हो जाएगा।
कौन सा रिफ्रेश रेट है आपके लिए फायदेमंद
यदि आप मोबाइल में सिर्फ कॉलिंग, मैसेजिंग और वेब सर्फिंग सहित छोटे मोटे काम करते हैं तो 60 हर्ट्ज रिफ्रेश रेट काफी है। वहीं वीडियो देखने और थोड़े बहुत गेम खेलने का काम है तो फिर 90 हर्ट्ज् रिफ्रेश रेट काफी है। हां बहुत ज्यादा गेम खेलते हैं तो 120 हर्ट्ज रिफ्रेश रेट वाला फोन ही लेना ज्यादा अच्छा है।
रही बात टीवी की तो यदि आप चाहते हैं अडवांस तकनीक तो फिर 120 हर्ट्ज ही लेना बेहतर विकल्प है।