पिछले कुछ साल में भारत में लॉन्च होने वाले स्मार्टफोन पर आप नजर डालते हैं तो पाएंगे कि हिंदी भाषा सहित क्षेत्रीय भाषाओं का सपोर्ट काफी बढ़ा है। वहीं गूगल के आने से भी इसमें काफी फर्क पड़ा है। कंपनी की कई सेवाएं आज हिंदी सहित अन्य भारतीय भाषाओं पर उपलब्ध है। वहीं गूगल निर्मित एंडरॉयड स्मार्टफोन में भी हिंदी सहित कुछ भरतीय भाषाएं सपोर्ट है। परंतु भारत सरकार अब क्षेत्रीय भाषओं को और बड़े पैमाने पर पेश करना चाहती है। यही वजह है कि सरकार सभी मोबाइल फोन में 22 अधिकारिक भारतीय भाषाओं के सपोर्ट को अनिवार्य करने वाली है।
भारत सरकार का मानना है कि डिजिटल इंडिया का सपना तभी पूरा हो सकता है जब हर कोई अपनी भाषा में कम्यूनिकेशन कर सके और सेवाएं प्रदान कर सके। इसलिए सरकार द्वारा ज्यादातर सेवाओं को फोन पर पेश किया जा रहा है और अब फोन में क्षेत्रीय भाषाओं की अनिवार्यता पर जोर दे रही है।
आज डीओटी (डिपार्टमेंट आॅफ टेलीकॉम) द्वारा इस मसले पर एक सर्कुलर जारी किया गया है। इसके तहत सभी मोबाइल फोन निर्माताओं के लिए 1 जुलाई 2017 से सभी हैंडसेट में हिंदी और इंग्लिश सहित किसी एक अधिकारिक भाषा को उपलब्ध कराना अनिवार्य कर दिया गया है। इसके साथ ही यह भी निर्देश जारी किया गया है जिसके तहत सभी हैंडसेट में 22 भाषओं को रिडिंग सपोर्ट भी होना जरूरी है।
भारत सरकार ने इसे डिजिटल साक्षरता अभियान (दिशा) का नाम दिया है। इसके तहत सरकार की कोशिश यही होगी कि लोगों तक आईटी के माध्यम से साक्षरता अभियान को पहुंचाया जाए। इसमें विशेष तौर से ग्रामीण भारत को जोड़ा जाएगा और सरकारी सेवएं भी क्षेत्रीय भाषाओं में मुहैया कराई जाएगी।